हापुड़ निवासी अभिषेक ने लिखी लघु कथा

हापुड़ निवासी अभिषेक ने लिखी लघु कथा

हापुड़ निवासी अभिषेक ने लिखी लघु कथा

हापुड़, सीमन (ehapurnews.com): हापुड़ निवासी अभिषेक ने एक लघु कथा लिखी है। जाने-माने कलाकार अभिषेक इससे पहले भी कच्ची रोटी पर कई तरह की तस्वीर ओके चुके हैं जो अक्सर चर्चा में रहते हैं जिन्होंने एक लघु कथा लिखी है।

हिदायत अशोक स्कूल से निकला ही था बाइक चलाते चलाते वह मन ही मन आज शाम के प्लांस बनाने लगा। आज तो खूब मस्ती करेंगे करें भी क्यों ना आखिरकार बंटू का जन्मदिन है। बंटू सतवीर सिंह का लड़का है, गाँव में ही उनकी बहुत बड़ी डेरी है घर में पैसे-वैसे की तो कोई कमी है नहीँ । बंटू रहता है अपने यार दोस्तों के साथ मौज मस्ती में।

अशोक को गाँव में आए हुए अभी साल भर भी कँहा हुआ था और उसकी तो बंटू और उसके साथियों के साथ अच्छी-खासी घुटने लगी। आज है बंटू का जन्मदिन और प्लान यह है कि गाँव के बाहर जो कोल्हू वाला अहाता है उसमें जाकर शाम को केक-वेक काटेंगे तीन-चार ट्रैक्टर उन पर हाई बेस वाले म्यूजिक सिस्टम जिन पर बजेंगे बदमाशी वाले गाने और गानों पर भरपूर मस्ती। हाँ, शैंकी ने चार-पांच लोहे की नाल वाले धमाकों का भी इंतजाम किया हुआ था, माहौल बनाने के लिए। अशोक सब कुछ सोचता हुआ आ ही रहा था कि उसे रास्ते में, जँहा पर वे दो ट्यूबवेल हैँ ना ठीक वँही पर एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठा हुआ दिखा। बुजुर्ग ने अशोक की तरफ देखकर रुकने का इशारा किया। अशोक ने बाइक रोकी। वह व्यक्ति शायद हॉस्पिटल से आ रहा था, पैर में पट्टी बंधी हुई थी, चोट लगी थी। वह बोला बेटा पैर में चोट लगी है चला नहीं जाएगा मुझे बैठा ले अपने साथ।

“हाँ जी चलो पर आपको जाना कँहा है?” अशोक ने पूछा।

“बेटा तू कँहा जाएगा?”

“जी मैं राजपुर तक जा रहा हूँ।”

“हाँ तो मुझे भी वँही जाना है।”

व्यक्ति ने अपनी छड़ी अशोक को पकड़ाई और बाइक पर बैठ गया, छड़ी वापस लेकर अशोक से चलने के लिए कहा।

बाइक चली और परस्पर बात भी।

“बेटा तुम इसी गाँव के हो?”

“जी हूँ तो नहीं लेकिन लगभग एक डेढ़ साल से इसी गाँव में रहता हूँ।”

“अच्छा, कभी देखा नहीँ तुम्हें यँहा।”

“हाँ जी, मैं बस स्कूल जाता हूँ और सीधे घर पर आता हूँ बाकी कँही नहीँ जाता, इसलिए लोग मुझे यँहा जानते भी कम ही हैँ।”

“अच्छी बात है, दूसरों की नजरों में कम ही रहें तो अच्छा है, जो अपना काम या पढ़ाई है उसी पर ध्यान रहे तो अच्छा है।”

अशोक चुपचाप उस व्यक्ति की बात सुने जा रहा था।

“बेटा कई बार ऐसा होता है कि करता कोई और है और भरता कोई और है  इसलिए दूसरों से और गलत संगत से जितना दूर रहो उतना ही अच्छा है।”

“जी आप सही कह रहे हैं।” अशोक हल्की मुस्कुराहट के साथ बोला।

बात चल ही रही थी कि अशोक ने बाइक रोकी, व्यक्ति ने पूछा “क्या हुआ बेटा?”

“जी मेरी गली आ गई यँही तक आना था मुझे।”

व्यक्ति ने आशापूर्ण स्वरों के साथ कहा,“बेटा थोड़ा-सा आगे छोड़ आ मुझे, मैं कैसे जाऊंगा।”

“बुजुर्ग है और चोट भी लगी है छोड़ आता हूँ।”ऐसा सोचकर अशोक बाइक स्टार्ट करके चल दिया।

बुजुर्ग व्यक्ति उसे आगे रास्ते से घुमाता हुआ गाँव के दूसरे छोर तक ले आया, फिर एक गली में मुड़ने को कहा। अशोक ने गली में बाइक मोड़ी। वैसे इधर कोई रहता तो नहीँ था बस कुछ पुराने घर और घेर थे। वह व्यक्ति अब चुपचाप बैठा था, शायद उसकी बातें खत्म हो गई थीं । फिर बड़े से द्वार की ओर इशारा करते हुए बोला “बेटा वँहा रोक देना।” अशोक ने द्वार के पास ले जाकर बाइक रोक दी। और बोला “जी आ गया आपका घर।” उसने पीछे मुड़कर देखा तो वह चौंक गया, वँहा वह व्यक्ति नहीं था। उसने आसपास नजर घुमाई तो कोई नहीँ दिखा। उसे कुछ समझ नहीँ आया उसने तीव्रता के साथ बाइक स्टार्ट की और वँहा से निकल गया।

घर जाकर वह अपने कमरे में गया और बेड पर लेट गया। शाम तक उसके दिमाग में वही बात चलती रही। कौन था वह व्यक्ति? और कँहा अदृश्य हो गया? अशोक रह रहकर इसी बारे में सोच रहा था। वह शाम को बंटू की पार्टी में भी नहीँ गया। तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया।

अगली सुबह अशोक रोज की तरह स्कूल के लिए तैयार हो रहा था, तभी बाहर से किसी ने आकर कहा,“कल रात सतवीर के लड़के और उसके दोस्त अहाते में पार्टी कर रहे थे,  किसी बात पर बहस हुई और आपस में ही उनकी लड़ाई हो गई। सबको चोट लगी है शायद शैंकी ने गोली भी चलाई।

अशोक ने गहरी साँस ली और कुछ सोचने लगा, शायद वह सोच रहा था कि सही रहा वह नहीं गया या शायद वह उस बुजुर्ग और उसकी दी हुई हिदायत के बारे में सोच रहा था।

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